Date | May 01, 2017:
धनबाद जंक्शन पर तीसरे दिन प्रदर्शनी देखने के लिए लगी लंबी कतार
37609लोगों को भविष्य की तबाही को बचाने की जानकारी देकर रविवार को रात आठ बजे धनबाद स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या सात से बैरकपुर के लिए साइंस एक्सप्रेस रवाना हो गया। 28 अप्रैल को साइंस एक्सप्रेस धनबाद पहुंची थी। पहले दिन स्कूली छात्र-छात्राओं समेत 3609 लोगों ने साइंस एक्सप्रेस का अवलोकन किया। दूसरे दिन 12000 और तीसरे दिन रविवार को 22 हजार छात्र-छात्राओं समेत आम लोगों ने साइंस एक्सप्रेस का दीदार किया। रविवार को अंतिम दिन छुट्टी होने के कारण छात्र-छात्राओं युवाओं की काफी भीड़ थी। सुबह दस बजे से ही लंबी कतार लगी थी। युवक युवतियों की कतारें अलग-अलग थीं। कड़ी धूप भीषण गर्मी में भी युवाओं का जोश बढ़ता गया। कड़ी धूप में भी लंबी कतार में खड़े होकर बारी-बारी से साइंस एक्सप्रेस में प्रवेश किए और कोच नंबर 2 से 11 नंबर तक जलवायु परिवर्तन समेत तापमान में वृद्धि, वर्षा की अनियमितता, जल संकट, खतरे में समुद्र, सूखा, बाढ़, बर्फीले पहाड़ के पिघलने से तबाही के बारे में जानकारी प्राप्त की।
साइंस एक्सप्रेस के भीतर ऑपरेटरों ने युवाओं को हर कोच में लगे प्रदर्शनी के बारे में बारीकी से बताया और उससे बचने बेहतर करने के उपाय भी बताये।
बिना मौसम बारिश बर्फबारी, जल संचयन के तरीके अपनाए
जलवायुपरिवर्तन होने से बिना मौसम बारिश बर्फबारी होती है। लोगों को जल संचयन के तरीके अपनाना चाहिए। कृषि के क्षेत्र में अनुकूलन व्यवस्था होनी चाहिए। वजन कम करें। परंपरागत जीवनशैली कम कार्बन उत्सर्जन करें। स्थानीय उगने वाले उत्पादन खायें। पसंदीदा पौधे लगाएं और उसे बचाएं। क्लाइमेट चेंज की वजह से भविष्य में बड़ी तबाही मच सकती है। इसे रोकने के लिए उच्चस्तरीय बैठक कर वार्तालाप करने की जरूरत है। किड जोन लैब में भी बच्चों छात्रों ने कई जानकारी हासिल किए। एक दो मई को बैरकपुर में साइंस एक्सप्रेस रहेगी। फिर कल्याणी, पुरी होकर र|ागिरी, मुंबई, भुज होकर गांधी नगर पहुंचेगी। रविवार के ईसीआर हाजीपुर के डीजीएम बीके सिंह समेत रेलवे के कई अधिकारियों ने धनबाद में परिवार के साथ विज्ञान प्रदर्शनी देखें।
युवाओं, छात्र-छात्राओं समेत महिलाओं पुरुषों को साइंस एक्सप्रेस के दूसरे नंबर के कोच में प्रवेश करते ही ऑपरेटरों द्वारा बताया गया कि हम अभी भी बहुत कुछ कर सकते हैं। हमें समय रहते चिंतित होना होगा। बिजली की बल्ब, यूरिया, कारखाना जंगलों की कटाई से प्रदूषण लगातार बढ़ रही है। प्रदूषण जितना ज्यादा बढ़ेगा उतना ही अधिक नुकसान होगा। कार्बन डाईऑक्साइड कम करना होगा। प्रति व्यक्ति को पौधा लगाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन से कृषि खतरे में सकती है। अन्न उत्पादन में काफी कमी जाएगी। पानी के बहाव को रोकने के लिए जगह-जगह मैंग्रोव लगाना होगा। अब तक के इतिहास में सबसे गर्म वर्ष 2016 था। बढ़ता तापमान झुलसाने वाली गर्मी थी। स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और डेंगू कॉलरा आदि कई बीमार के लोग शिकार हुए।
(Source: http://www.bhaskar.com/)